हिंदी कैलेंडर के अनुसार माघ माह के पंचमी को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। कड़कड़ाती ठंड के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्यौहार भारत के पूर्वोत्तर राज्य बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा ,के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश इत्यादि देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। वसंत ऋतु मौसम के बदलाव की ऋतु है, इसमें कड़ाके की ठंड का अंत और गुनगुनी धूप, पीली सरसों की हरियाली, पलाश के पत्तों की पीलापन और भी फूलों के रंग बिरंगे रंग प्राकृतिक छटा को और भी खूबसूरत बनाती है।
इस मौसम में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है हर तरफ रंग बिरंगे फूल पीली सरसों के खेत पलाश के फूलों के पीलेपन श्रेया पूरा प्रकृति ढका हुआ रहता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह इंद्रधनुष के समान हो।
इसी बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म दिवस यानी सरस्वती पूजा मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती को बुद्धि ज्ञान विद्या और वाणी देने वाली देवी के रूप में मानते हैं बसंत पंचमी के दिन है मां सरस्वती का ज जन्म हुआ है ऐसा हिंदू ग्रंथों मैं दिया गया है।
वसंत पंचमी(Vasant Panchami) के दिन ही सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का विवाह हुआ था ।इस कारण से भी बसंत पंचमी(Vasant Panchami) का सिखों में एक अलग महत्व है।
मां सरस्वती के जन्म की कथा
हिंदू ग्रंथों के अनुसार किस वक्त भगवान ब्रह्मा सृष्टि को बना रहे थे खासकर जीवों को बनाए और बनाकर धरती पर छोड़ें तो जिओ के पास न बुद्धि थी मैं विवेक था और ना ही वाली थी जिससे यह पूरी प्रकृति ही शांत पड़ी हुई थी यह देखने के बाद ब्रह्मा जी ने सोचा की हो ना हो इन्हें बनाने में हमसे कोई गलती हो गई है ।
कब विष्णु जी के बताए जाने के बाद ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकालकर मां सरस्वती का आवाहन करके उनको उत्पन्न किया। और उनको यह आज्ञा दी की सारे जीवो में बुद्धि विवेक वाणी सुनने की शक्ति इत्यादि प्रदान करें तभी से लेकर हम मां सरस्वती को बुद्धि विद्या और वाणी की देवी के रूप में पूछते हैं।
इसी कारण से यह दिन बहुत शुभ माना गया है इस दिन हम कुछ भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं।
बसंत पंचमी के दिन भारत के पूर्वी इलाकों में घर घर में मां सरस्वती की पूजा के लिए मां की मूर्ति स्थापित की जाती है और अगले दिन उस मूर्ति का विसर्जन नदी में या जलाशयों में कर दिया जाता है इस दिन मां सरस्वती के भक्त पीले वस्त्र पहनते हैं हल्दी से मां सरस्वती की पूजा करते हैं और हल्दी का ही तिलक लगाते हैं।
इस दिन विद्यालयों शिक्षण संस्थानों इत्यादि में मां विद्या दायिनी की पूजा अर्चना की जाती है और उनसे विद्या और ज्ञान देने की प्रार्थना की जाती है।
यह शुभ दिन सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि जैन शेख बौद्ध इत्यादि भी बहुत धूमधाम से मनाते हैं।
संगीत और कला के वाद्य यंत्र को इस दिन पूजा की जाती है और उनको मां सरस्वती के रूप में महत्व प्रदान किया जाता है।
इस दिन का ऐतिहासिक महत्व
बसंत पंचमी के दिन है पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को अपने सबवे दीवानों द्वारा मृत्यु दिया था। पृथ्वीराज चौहान वो वह शूरवीर थे जिन्होंने मोहम्मद गौरी को 15 बार हराया था और हारने के बाद मोहम्मद गौरी को हमेशा जिंदा छोड़ दिया था परंतु 16वीं बार जब पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गोरी से हार जाते हैं तो मोहम्मद गौरी उन्हें नहीं बचता और उनको कैद करके अपने साथ अफगानिस्तान ले जाता है
वहां उन्हें वह मृत्युदंड देता है मृत्युदंड देने से पहले मोहम्मद गौरी चाहता है कि वह पृथ्वीराज चौहान के द्वारा शब्दभेदी बानो का पराक्रम देखें यही मौका पाकर पृथ्वीराज चौहान और उनके परम मित्र और कवि चंद्रवरदाई द्वारा मोहम्मद गौरी की हत्या करने की योजना बनाई वह बसंत पंचमी का ही दिन था जिस दिन पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को अपने शब्दभेदी भानु द्वारा मृत्यु को प्राप्त करवाया और फिर तुरंत बाद वह और उनके परम मित्र चंद्रवरदाई आत्महत्या किए थे।
2022 में बसंत पंचमी(Vasant Panchami) का शुभ मुहूर्त
इस साल 2022 में वसंत पंचमी दिनांक 5 फरवरी 2022 को भारतीय समय के अनुसार प्रातः3:00 बज कर 48 मिनट से लेकर लेकर 6 फरवरी 2022 सुबह 3:00 बचकर 46 मिनट तक है।
पूजा करने का शुभ समय 7:07 से लेकर दोपहर 12:57 तक है।
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