Mahashivratri-2022 | महाशिवरात्रि त्यौहार- Most important details

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Mahashivratri-2022

हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। वैसे तो या महापर्व पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान इत्यादि देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह के दिन मनाया जाता है।

इसके अलावा पौराणिक कथाओं और शिव पुराण के अनुसार इसी दिन शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए भी यह त्यौहार मनाया जाता है । एवं इनकी और भी कथाएं जैसे महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर ने हलाहल विष को ग्रहण किया था, जो समुद्र मंथन मे मिला था। यह समुद्र मंथन देवताओं और दानवों द्वारा किया गया था ,जिसमें अनेक प्रकार के आकर्षक वस्तुओं के साथ-साथ विनाशक हलाहल विष भी प्रकट हुआ था ।

कहा जाता है कि हलाहल विष इतना विषैला था जिससे पूरी सृष्टि ही खत्म हो जाती। पूरी सृष्टि की रक्षा करने के लिए भगवान शंकर ने आज ही के दिन हलाहल विष को अपने कंठ पर धारण किया था । जिससे उनका कंठ नीला पड़ने लगा था यही कारण है कि उनको नीलकंठ भी कहा जाता है, देवताओं के वैद्य ने  कहा था कि अगर भगवान शंकर को पूरी रात नहीं जगाया गया तो वीष  भगवान शंकर को भी समाप्त कर देगा ।

इसी कारण से उस दिन देवता और दानाव दोनों मिलकर पूरी रात भगवान शंकर के आगे भजन कीर्तन नृत्य करके उनको जगाए रखने का प्रयास किए थे सुबह जब इसका असर खत्म हो गया था उस दिन से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।

पौराणिक हिंदू मान्यताओं के अनुसार राजा हिमाचल के यहां एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया। जिसका नाम आगे चलकर सती हुआ। सती धीरे-धीरे जब बढ़ने लगी, युवावस्था में सती भगवान शंकर को पसंद करने लगी,ओर उनको   अपने पति के रूप में पाने की कामना करने लगी। परंतु भगवान शंकर बैरागी थे, उनको सांसारिक मोह माया नहीं थी ।

तब जाकर सती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या की, सती की तपस्या को देखते हुए भगवान शंकर उन पर प्रसन्न हुए, और वर मांगने को कहा, माता सती ने वर्ग में उन्हें अपने पति के रूप में पाने की कामना जताई । भगवान शंकर ने भी उन्हें  वर प्रदान किया। आगे चलकर महाशिवरात्रि के दिन ही माता सती और भगवान शंकर का विवाह संपन्न हुआ, इसलिए भगवान शंकर के जितने भी भक्त है इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

ऐसे तो हिंदी महीने के अनुसार हर अमावस्या के पूर्व का दिन शिवरात्रि होती है परंतु परंतु इन सभी शिवरात्रि ओं में से फागुन माह का शिवरात्रि कोही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है

पुजा की तिथि, पुजा मे उपयोग होने वाली सामग्री, ओर विधि

महाशिवरात्रि फागुन मास के कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्त भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनको पुष्प, बेलपत्र ,धतूरा ,भांग, अबीर, रोड़ी, चंदन, घी , दही, दूध, मधु आदि पूजा की सामग्री के साथ अपने पूरे मनसे भगवान शिव और माता पार्वती का पूजा अर्चना करता है।

सुबह सुबह उठकर स्नान ध्यान करके शिव भक्त घर में या मंदिर में जाकर  शिवलिंग की पूजा करते  है। इस दिन  रुद्राभिषेक करना अत्यधिक लाभकारी है। रुद्राभिषेक से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं, और मनचाहा फल भक्तों को प्रदान करते हैं।

शिव भक्त दूध, दही, शहद, गंगाजल आदि से भगवान शंकर के प्रतीक शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं, साथ ही साथ इसमें चंदन,, हल्दी रोडी,घी, गुलाल  इत्यादि से उनका तिलक कर सकते हैं और महामृत्युंजय का जाप कर सकते हैं इन सब पूजन सामग्री के साथ आप धतूरा का फल, भांग और बेलपत्र भी भगवान शंकर पर चढ़ाकर भगवान शंकर को खुश करने का प्रयास कर सकते हैं।

अभिषेक मे क्या न करे

जब भी आप भगवान शंकर का अभिषेक दूध से करें तो वह दूध कच्चा हो या नी सीधे गाय के थन से निकालकर भगवान शंकर अभिषेक करें।

कभी भी भूल कर भी उबले हुए दूध या बाजार में मिल रहे हैं पैकेट वाले दूध या दूध के पाउडर से बनाया गया दूध से भगवान शंकर का अभिषेक नहीं करना चाहिए।

2022 में महाशिवरात्रि पर्व का शुभ मुहूर्त

सन 2022 में महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022 दिन मंगलवार को है इस दिन कृष्ण चतुर्दशी 1 मार्च 2022 को सुबह 3:16 पर शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 1:00 बजे तक है

महा पर्व की पूर्णाहुत दूसरे दिन यानि  बुधवार दो मार्च  सुबह 6:45 मिनट के बाद कर सकते है।

भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी महाशिवरात्रि के दिन कर सकते हैं, इस मंत्र को हम संजीवनी मंत्र के रूप में भी जानते हैं यह मंत्र है:-

महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

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