Famous dances of Jharkhand| झारखंड में प्राकृति और संस्कृति का एक अनूठा मेल आपको देखने को मिलेगा। यहां के लोगों की संस्कृति में नृत्य ने अपनी एक अलग पहचान बना रखी है। यहां के नृत्य, विदेशों में भी बहुत प्रचलित है। इन नृत्यों को देखने के बाद आपको यह समझ में आएगा कि यहां के संस्कृति कैसे प्राकृति पर निर्भर है। यहां के लोगों की वेशभूषा, गायन और वाद्य यंत्र सभी में कहीं ना कहीं प्राकृति का मेल है।
झारखंड के प्रमुख नृत्य कुछ इस प्रकार है :
छउ नृत्य
यह नृत्य झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण लोक नृत्य में से एक है। यह एक मुखौटा तथा बिना मुखौटा का पुरुष प्रधान नृत्य है । इस नृत्य में कथा के अनुसार नए ताल ,राग, नृत्य की गति को तीव्र मध्यम या धीमा करते हैं| इसमें आगे पीछे दाएं बाएं अपने शरीर को झटके से मोड़ते हैं, कभी पैरों में कंपन लाते हैं कभी कलाबाजी खाते हैं | कभी थरथराते हैं कभी चकराकर , घूमते, उठते बैठते पैरों को फेंकते नृत्य करते हैं। इसकी मुख्यत दो श्रेणियां हैं पहला हथियार श्रेणी तथा दूसरा काली भंग श्रेणी। यह नृत्य सरायकेला राजघराने में प्रचलित हुआ है।
कडसा
झारखंड की दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण नृत्य शैली कडसा नृत्य शैली है| यह नृत्य शैली मुख्यतः झारखंड के उरांव जनजाति के लोगों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उराव समाज बेहद संगीत प्रिय है। उनके नृत्य संगीत की विविधता देखते ही बनती है| इनकी कलात्मकता से तुलनात्मक रूप ,सुंदरता और मधुरता से मन भर जाता है। इसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नृत्य करती हैं पुरुष भी इसमें शामिल होते हैं इनके सृजन की प्रक्रिया भी कलात्मक और विविधता पूर्ण पूर्ण होती है दो दो कदम पीछे और फिर दो दो कदम आगे करके यह नृत्य किया जाता है। इसमें मांदर वादक के ताल और नृत्य का बहुत महत्व रहता है ।
करम नृत्य
करम नृत्य झारखंड का एक मुख्य नृत्य है| यह करम पूजा पर्व के के अवसर पर किया जाता है| इसमें मुख्यत महिलाएं भाग लेती है। यह नृत्य झुक झुक कर किया जाता है , इसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़े रहती हैं और अपने पारंपरिक लोकगीतों के साथ यह नृत्य करती हैं कर्म नृत्य के दो भाग हैं पहला खेमटा और झीनसारी । यह पर्व महिलाएं अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
पाइका नृत्य
झारखंड का एक और प्रमुख नृत्य पाइका है जो यहां के मुंडा जनजातियों का एक प्रमुख नृत्य है | इस नृत्य के दौरान नर्तक अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं , इस नृत्य में नर्तक सैनिक की वेशभूषा में नृत्य करते हैं । इसमें नर्तक मोर पंख लगी पगड़ी या रंग बिरंगी झिलमिलाती कलगी लगाकर पगड़ी बांधते हैं| यह एक प्रकार का युद्ध से संबंधित नृत्य है। इसमें नर्तक बहुत उत्तेजना पूर्वक नृत्य करता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह युद्ध भूमि में युद्ध कर रहा हो। इस नृत्य में नर्तक द्वारा अपनी वीरता का प्रदर्शन किया जाता है।
जतरा नृत्य
यह नृत्य सामूहिक नृत्य है, इसमें स्त्री पुरुष दोनों भाग लेते हैं| इसमें स्त्री पुरुष एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नृत्य करते हैं। इसमें स्त्री पुरुष वृत्ताकार या कभी अर्धवृत्त आकार रूप में नृत्य करते हैं। इसमे स्त्री पुरुष रंग बिरंगी पोशाकों को पहनकर बहुत ही मनमोहक नृत्य का प्रदर्शन करते हैं| यह नृत्य पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं। इस नृत्य को देखना अपने आप में एक बहुत ही सुखद एहसास है।
मण्डारी नृत्य
झारखंड की एक मुख्य और मनमोहक नृत्य मण्डारी है। इसे झारखंड के मुंडा जनजाति द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह एक सामूहिक नृत्य है जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों भाग लेते हैं और बहुत ही चटकीले और आकर्षक पोशाक पहनते हैं। इनके नृत्य भी ऋतु परिवर्तन के अनुरूप अलग-अलग राग, लय, ताल बदलते रहते हैं।
सोहराय नृत्य
सोहराय नृत्य मुख्यत सोहराय पर्व में किया जाने वाला नृत्य है | यह नृत्य मूलतः मवेशियों के लिए किया जाता है। इसमें गांव के चौराहे तथा घरों के आंगन में मांदर, नगाड़ा, घंटी आदि बजाकर यह नृत्य किया जाता है| महिलाओं द्वारा चुमावडी गीत गाया जाता है। इसमें स्त्री और पुरुष सामूहिक रूप से गाय जगाव तथा लंगड़े नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते हैं।
डसाई नृत्य
दसाई नृत्य दशहरे के समय प्रस्तुत किया जाता है| यह एक पुरुष प्रधान नृत्य है । इस नृत्य के दौरान नर्तक पूरे गांव में घूमते हैं और सभी के घरों में जाकर आंगनों में इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं और भिक्षा के रूप में अनाज उस घर से लेते हैं|
ये सब कुछ ख़ास नृत्य थे झारखण्ड के जो की पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्द है|
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